ज्योतिषाचार्यों के अनुसार हर एक व्यक्ति किसी न किसी ग्रह दोष से परेशान रहता है। बिना वजह घर में क्लेश होना, हर काम बनते-बनते बिगड़ जाना, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहना, मान-सम्मान में कमी आना, बुद्धि का ठीक से काम न करना, शत्रु से परेशान रहना या आर्थिक संकट का सामना करना आदि दोष के कारण हो सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रह अपनी चाल बदलते हैं तो कुंडली में शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों के दोषों को दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर व्यक्ति आसानी से अशुभ प्रभावों से मुक्ति पा सकता है।

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। इसलिए कुंडली में इस दोष के होने पर व्यक्ति को सर्दी-जुकाम या पेट संबंधी समस्याओं के साथ धन की हानि का सामना करना पड़ता है। चंद्र दोष से मुक्ति पाने के लिए पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की विधि-विधान से पूजा करें। इसके अलावा सफेद चीजों का दान करें। सोमवार के दिन चांदी की अंगूठी में चार रति मोती अनामिका उंगली में पहनें।

कुंडली में सूर्य दोष होने पर नौकरी में रुकावटें, असाध्य रोगों का सामना करना पड़ता है। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए भगवान विष्णु के साथ भगवान सूर्य की पूजा करें। साथ ही बहते जल में गुड़ प्रवाहित करें। रविवार के दिन दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में तांबे की अंगूठी में माणिक्य रत्न धारण करें।

कुंडली में मंगल दोष होने पर वैवाहिक जीवन में परेशानियां, भाई-बहन से मनमुटाव, विवाह में देरी आदि शामिल हैं। कुंडली के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए भगवान हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करें। इसके अलावा हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करें। मसूर की दाल, गुड़, चीनी आदि का दान करें।

कुंडली में बुध की स्थिति खराब होने पर व्यक्ति तनाव में रहता है। इसके अलावा दांतों से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है। जिसमें धन हानि आदि शामिल है। बुध दोष से मुक्ति के लिए मां दुर्गा की पूजा करें। इसके साथ ही ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का 5 माला जाप करें। पूर्व दिशा की ओर लाल रंग का झंडा लगाएं। इसके साथ ही 100 ग्राम चने की दाल और चावल लेकर बहते पानी में प्रवाहित करें।

कुंडली में बृहस्पति दोष होने पर करियर में बाधाएं आती हैं। इसके अलावा जातक पर झूठे आरोप लगते हैं और पिता को किसी तरह से नुकसान पहुंचता है। गुरु दोष से मुक्ति पाने के लिए बहती नदी में बादाम, तेल, नारियल आदि प्रवाहित करें। इसके अलावा माथे पर रोजाना केसर का तिल लगाएं। इसके साथ ही गुरुवार के दिन तर्जनी अंगुली में पुखराज या इसका उपरत्न स्वर्ण रत्न धारण करें।

कुंडली में शुक्र ग्रह के खराब होने पर व्यक्ति को त्वचा संबंधी परेशानियां होती हैं। इसके अलावा राजनीति के क्षेत्र में नुकसान उठाना पड़ता है। दांपत्य जीवन में भी किसी न किसी तरह का तनाव बना रहता है। शुक्र दोष से मुक्ति पाने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करें। इसके अलावा मां लक्ष्मी के मंदिर में जाकर उन्हें कमल का फूल चढ़ाएं और घी का दान करें। इसके साथ ही शुक्रवार के दिन मंदिर में कांसे का बर्तन दान करें।

जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि दोष होता है, उसे धन की हानि, बनते काम बिगड़ना, पैतृक संपत्ति का नुकसान झेलना पड़ता है। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए शनिदेव की पूजा करें। इसके अलावा शनिवार के दिन शनिदेव को काले तिल, सरसों का तेल चढ़ाने के साथ ही दान करें। सुबह पीपल की जड़ में जल चढ़ाएं और शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।

राहु दोष के कारण व्यापार में लगातार नुकसान, शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। राहु दोष से राहत पाने के लिए मां सरस्वती की पूजा करें। इसके अलावा राहु के मंत्र- ॐ राहु रां राहवे नमः का रोजाना 108 बार जाप करें। इसके अलावा तांबे के बर्तन में गेहूं और गुड़ भरकर बहते पानी में प्रवाहित करें।

कुंडली में केतु के दोष के कारण व्यक्ति बुरी संगत में पड़कर धन की हानि करता है। इसके अलावा संतान का भाग्य उदय नहीं होगा और शारीरिक समस्याओं का सामना करना आदि शामिल हैं। केतु दोष से मुक्ति पाने के लिए पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर तांबे की कील लगाएं। इसके अलावा दूध, दही, चावल, दाल आदि का दान करें।

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